पीएम मोदी और मार्क कार्नी
कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों की वजह से उसके साथ राजनयिक संबंध लगभग समाप्त होने के करीब पहुंच गए थे. यह स्थिति भारतीय दावों को पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो की सरकार द्वारा नकारने और इसके उलट खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाने की वजह से उत्पन्न हुई थी, लेकिन कनाडा सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों को लेकर सामने आई खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट ने मार्क कार्नी सरकार की आखें खोल दी हैं. रिपोर्ट खुलासा होने के बाद मार्क कार्नी ने खालिस्तानियों उग्रवादी करार दिया है.
कनाडा सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों को लेकर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तान आंदोलन से जुड़े व्यक्ति और नेटवर्क कनाडा में सक्रिय हैं. रिपोर्ट के अनुसार खालिस्तानी चरमपंथी भारत को लक्षित करने वाली हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने और फंडिंग मुहैया कराने के लिए कनाडा की धरती इस्तेमाल कर रहे हैं.
कनाडा खुफिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि खालिस्तान आंदोलन से जुड़े व्यक्ति और नेटवर्क कनाडा में सक्रिय हैं. खालिस्तानी चरमपंथी मुख्य रूप से भारत में हिंसा को बढ़ावा देनेए धन जुटाने या योजना बनाने के लिए कनाडा को सुरक्षित पनाहगार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
पंजाब को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की साजिश
खालिस्तानी आतंकियों ने भारत के पंजाब क्षेत्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र खालिस्तान की स्थापना के लिए हिंसक साधनों का समर्थन करते हैं या उनका उपयोग करना चाहते हैं. इन्हीं गतिविधियों की वजह से कनाडा में खालिस्तान समर्थक समूहों की मौजूदगी और गतिविधियों को लेकर नई दिल्ली और ओटावा के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ा है.
पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने की थी योजना
खुफिया रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि खालिस्तानी संगठन कनाडा में उस समय विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे थेए जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी 7 शिखर सम्मेलन के लिए आए थेण् इस घटनाक्रम ने भारतीय अधिकारियों के बीच गंभीर सुरक्षा चिंताएं बढ़ा दी थीं.
सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारत में केंद्रीय एजेंसियों ने अपने कनाडाई समकक्षों को सलाह दी थी कि खतरे को देखते हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था जरूरी है.
कनाडा में रह रहे आतंकियों ने बार-बार भारतीय राजनयिक मिशनों और अधिकारियों को निशाना बनाया है. भारतीय एजेंसियों को डर था कि खालिस्तानी चरमपंथी विघटनकारी प्रदर्शनों या अधिक गंभीर घटनाओं के लिए पीएम मोदी की उपस्थिति का फायदा उठा सकते हैं.